Aug 8, 2008

Dard

या खुदा,
न दे ये दर्द किसीको
गुट थी है ये
अंधार ही अंधार में


न दे ये दर्द किसीको
रब्बा मेरे,क्या है कशमकश
एक सैलाब हैं अन्दर
जो बह न सखे
तोडके इन दायरों को,


तीजाब है यह
जलते है अंधार ही में
या खुदा,
न दे ये दर्द किसीको.......

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