Oct 24, 2008

Azaadi


करून किया
ये न जानू
उदु मैं तितलिओं की तरह
बहु मैं नदी की तरह
तोडू मैं यह साड़ी बंधन
चाहू मैं आजादी
ये दुनिया की जंजीरों से.
एक नया आसमान की और उड़ना है मुझे,
तलाश हैं हमें उस मुखे का
कब आएगा वोह पल
आजादी ही हमारी चाह हैं
न बाँध सकोगे हमें
एक बार थोड दिया ये ज़ंजीर को

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