समय को बाँधना था ,
लेकिन गुज़र गया .
बारिश को समेटना था,
बरस गया वोः मुजको बिगोके.
एक बार केलिए अगर ,
थम जाए ये वक़्त मेरे लिए ...
तो समेटलूं वोः सारी यादें ,
जो मुझसे छूट गये.
लेकिन गुज़र गया .
बारिश को समेटना था,
बरस गया वोः मुजको बिगोके.
एक बार केलिए अगर ,
थम जाए ये वक़्त मेरे लिए ...
तो समेटलूं वोः सारी यादें ,
जो मुझसे छूट गये.
1 comment:
कितना अच्छा "ख्वायिश" है |
पर ये हो नहीं सकता...
लिखो खूब जी भर के :)
Post a Comment